हमारे समाज में संतानोत्पत्ति को कर्तव्य, धर्म और परंपरा का हिस्सा माना जाता है। माता-पिता बनना जीवन का अंतिम लक्ष्य समझा जाता है। लेकिन क्या वास्तव में हमें यह अधिकार है कि हम किसी को उनकी सहमति के बिना इस दुनिया में लाएँ—एक ऐसी दुनिया, जहाँ दुख, संघर्ष और अन्याय हर जगह मौजूद है? यही सवाल उठाती है यह किताब। यह किताब एंटीनेटलिज़्म यानी संतानोत्पत्ति-विरोध की विचारधारा को गहराई से समझाती है। इसमें दार्शनिक, सामाजिक, वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य से इस विषय का विश्लेषण किया गया है। किताब स्पष्ट रूप से कहती है कि बच्चा पैदा करना अनैतिक है, क्योंकि इससे हम एक नए जीवन को बिना उसकी इच्छा के पीड़ा और कठिनाइयों से भरी दुनिया में धकेलते हैं। समाज, धर्म और परंपरा हमें संतानोत्पत्ति के लिए प्रेरित या मजबूर करते हैं, लेकिन यह किताब उन सभी मान्यताओं पर सवाल उठाती है। यह बताती है कि असली जिम्मेदारी यही है कि हम अनावश्यक दुख पैदा करने से बचें। यह किताब पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है—क्या संतान उत्पन्न करना प्रेम का कार्य है या स्वार्थ का? तर्क, संवेदना और बेबाकी से लिखी गई यह किताब पाठकों को एक नए दृष्टिकोण की ओर ले जाती है और समाज में गहरी बहस को जन्म देती है। |
Philosophy & Social Aspects
Najanm Kranti: Antinatalism ka Manviy Paksh
₹250.00
By: Shashi Kumari
ISBN: 9789366650623
Language: Hindi
Pages: 162
Format: Paperback
Category: Philosophy & Social Aspects
Delivery Time: 7-9 Days
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