Samjhauta Na Karo

299.00

By: Vijay Kumar Upadhyay

ISBN: 9789366657363

Language: Hindi

Pages: 178

Format: Paperback

Category: POETRY / General

Delivery Time: 7-9 Days

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विचारों औऱ जीवन की अनुभूतियों को इंद्रधनुषी रंग में समाहित करने में कविताओं की अहम भूमिका होती है। सत्य घटनाओं औऱ भावनाओं को समेटकर उन्हें गतिशील बनाना औऱ जनमानस पर गहरा प्रभाव डालना काव्य की यात्रा को सफल बनाता है। कवि विजय कुमार उपाध्याय जिन्होंने मेरे साथ विगत कई वर्षों से अनेक मंचों पर कविता पाठ करते हुए श्रोताओं को समा बाँधकर मन्त्रमुग्ध किया है, हंसाया है। इंसानियत औऱ भाईचारे के साथ साथ जीवन जीने के संदेश उनकी लेखनी में मिलते हैं। मेरी शुभकामनायें हैं उनकी आने वाली किताब *समझौता न करो* पाठकों को पसंद आएगीऔऱ उन्हीं ऊंचाइयों पर ले जाएगी।

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