Shamshan (Laghu katha Sangrah)

199.00

By: Anil Jharwal

ISBN: 9788197491047

Category: FICTION / Short Stories (single author)

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बचा ही कौन है जो सच को बिलकुल उसी रूप में स्वीकार कर ले, जैसा कि वो है, हम सब अपने अपने सच लिए जीवन जी रहे हैं, सिक्के का कोई भी पहलू हमे पूर्ण सत्य लगता होगा, मगर जो दूसरा पहलू है उसका क्या। आडंबर, झूठ की इस दुनिया में इन सब बातों के आँकलन की फ़ुरसत ही किसे है, दुनिया खुश रहे, समाज में एक तथाकथित आदर्श जीवन जीने में सफल रहे, सभी इसी दौड़ में प्रथम आना चाहते हैं, यही एक मात्र उद्देश्य है। भावनाएँ, मानवता, सत्य ये सब जाने कहाँ छूट गये। संभ्रांत समाज में पग पग पर सत्य छुपाया जाता है, कोढ़ के घाव को मख़मल से कितना भी ढक लो, बीमारी वहीं की वहीं रहती है। मूल भावनाओं को दबा कर केवल सामने वाले के व्यवहार पर कुशलतापूर्वक खरा उतरना सफल जीवन की उपलब्धि मानी जाती है! मगर मृत्यु का क्या, वो सारे नक़ाब छीन लेगी, श्मशान में झूठ का कोई कारोबार नहीं चलता। मेरी कहानियाँ बिलकुल उसी तरह संभ्रांत समाज के मुखौटों को हटाती हुई, विकासशील समाज का असल सत्य दिखाने के लिए प्रयासरत हैं। मैं कोई प्रोफेशनल लेखक नहीं हूँ। बड़े लेखक, आलोचक शायद मेरी शैली को गालियाँ दे, उनकी डाँट सर आँखों पर, मगर आशा है, पाठकों का प्रेम मिलेगा….

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