भारत का वर्त्तमान प्राशासनिक ढांचा और आर्थिक दिशा अंग्रेजों के द्वारा निर्मित और निर्धारित किया गया है. इस प्राशासनिक ढाँचे के बारे में नेताजी सुभाष चन्द्र बोसे का कहना था कि आजाद भारत में इस प्रशासनिक ढांचे को एक भी भारत में दिन रहना नहीं चाहिए और नेताजी ने आजाद हिन्द सरकार का गठन करते ही सिंगापूर में ही एक प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की थी और हम सब जानते ही हैं कि भारत के तत्कालीन राजनैतिक नेतृत्व में नेताजी सुभाष चन्द्र बोसे एकलौते नेता थे जिन्होंने इंग्लैंड जाकर प्रशानिक प्रशिक्षण(ICS) लिया था और उछ्चातम स्थान पाया था और अंग्रेजों के द्वारा स्थापित किये हुए ढांचे के किसी भी अन्य तत्कालीन नेता के मुकाबले श्रेष्ठ जानकार थे और उनके अनुसार इस अंग्रेजी प्रशानिक और आर्थिक ढांचे में, सेवक नहीं शाषक का अहं जो कि जनता से दूरी में परिलाछित होता है, जिम्मेदारी का नितांत अभाव जैसी बुराइयां हैं और विकास के लिए ये सब चीजें घातक होती हैं और कोई भी देश ऐसी नीतियों से प्रगति नहीं कर सकता, ये तय है और इसी वजह से भारत से वापस लौटे हुए अंग्रेजी सिविल सर्वेन्ट्स को इंग्लॅण्ड में जनता से जुडा कोई भी पद नहीं दिया जाता था. इस पुस्तक के माध्यम से हम भारत की प्रकृति के अनुकूल, जन प्रशाशन में जनता की भागीदारी और श्रम सघन औध्यौगिक ढाँचे के माध्यम से चमत्कारिक प्रगति की राह कैसे बनेगी, उसकी चर्चा की गयी है और इस पुस्तक को पढ़ने के बाद भारत के नीति नियंता भारत की प्रकृति के अनुकूल कम पूंजी भक्षी कम ऊर्जा भक्षी और भारत की प्रकृति के अनुकूल नीतियां बना सकते हैं और इस तरह से भारत पश्चिमी निरर्थक ट्रिकल डाउन प्रिंसिपल और जीडीपी के मकडजाल से निकल पर्यावरण और समाज हितैषी तंत्र विक्सित करेगा जो भारत को टिकाऊ आर्थिक और सैन्य सम्रद्धि देगा. मैं पुनः ये कहता हूँ कि हम नहीं कहते की यह पुस्तक साड़ी समस्याओं का समाधान करेगी किन्तु ये पुस्तक एक सही राह अवश्य दिखायेगी, जिस पर चल कर डेड अरब लोग एक बोझ नहीं वरन डेड अरब अवसर बना पायेंगे, ऐसा मेरा मानना है.
HISTORY / Ancient / General
Swaraj se Suraj ka Supath
₹350.00
By: Rajesh Kumar Choudhary
ISBN: Nutan Chaturvedi
Language: Hindi
Pages: 244
Format: Paperback
Category: HISTORY / General
Delivery Time: 7-9 Days
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