Swatantryottar Hindi Upanyason mein Muslim Sanskriti

299.00

By: Dr. M. Govindraj

ISBN: 9789366659022

Language: Hindi

Pages: 218

Category: JUVENILE NONFICTION / Literary Criticism & Collections

Delivery Time: 7-9 Days

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भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहाँ हिंदु, मुस्लिम, ईसाई, शिक्ख, बौद्ध, जैन आदि धर्म एक साथ मिल-जुलकर रहते हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि हम ऐसे एक राष्ट्र के निवासी हैं, जहाँ विभिन्न चर्म एवं संस्कृति समाहित है। यहाँ मंदिर की पूजा और शंखनाथ, मस्जिद की नमाज और अजान, गिरिजाघर की प्रार्थना की आवाज़ आदि एक साथ बलती हैं और गूँजती भी है। प्रस्तुत पुस्तक में स्वातंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यासों में चित्रित मुस्लिम संस्कृति का लेखा-जोखा देने का प्रयास किया गया है। स्वातंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यासकारों ने सदियों से बली आ रही सड़ी गली धार्मिक रुचियों एवं भास्तीय समाजिक परिवेशों में उसके समावेश की नयी छवी सामने रखी है। विदेशी साहित्य से आयी विधा होने पर भी उपन्यास भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं सामाजिक जीवन मूल्यो का संगमस्थल है। मनुष्य के जन्म और मृत्यु के बीव संरकृति का जनम होता है। यह संरकृति मानव की सार्वजनिक संपदा भी होती है। हिंदू मुसलमान, ईसाई और सिक्ख संस्कृति ज़रूर ही स्वतंत्र्योत्तर उपन्यासों की कथा का विषय बन गयी है। भारतीय जनता इन सारी संस्कृति का आदर करते रहे है और भविष्य में धर्म निरपेक्षता की जड़े फैलाने केलिए प्रगत्न करते रहेंगे। राही मासूम रजा, गुलशेर खान शानी, भीष्म साहनी, यशपाल, नासिरा शर्मा, मेहरुन्नीसा परवेज, अब्दुल बिस्मिल्लाह, जगदम्बा प्रसाद दीक्षित, देवेद्र सत्यार्थी, बदीउज़्ज़मी, मंजूर एहतेशाम जैसे भारतीय उपन्यासकार अपनी रत्तनाओं के माध्यम से यह साबित करते हैं कि भिन्न-भिन्न संस्कृति एवं सभ्यता का संगम स्थल भारतदेश विश्व का ताज है।

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