यह राग और विराग बीच डोलती कविताओं का संग्रह है। एक ओर राग- अनुराग से परिपूर्ण संसार है तो दूसरी ओर कवी का विरागी मन है जो उसे संसार से विलग भी करता है। संवेदना से भरी ये कवितायें पाठक को उतना ही अकेला करतीं है जितना कि कवि स्वयम है। दृष्टी की जीवन्तता, अनुभव की मार्मिकता और संवेदना के तारल्य से ही यहाँ भाषा में वह अनूठापन भी पैदा हुआ हैं जिसे बोलचाल की भाषा में कवि की मौलिकता कहा जा सकता है। हिन्दी कविता की प्रदीर्घ यात्रा में ये कवितायेँ अपनी तरफ से बहुत कुछ जोड़ती-घटाती है। एक कवि की सार्थकता इससे बढकर कुछ और हो भी नहीं सकती हैं।
POETRY / General
Khoi Hui Cheezen
₹199.00
By: Sonal
ISBN: 9789366650135
Language: Hindi
Pages: 114
Category: POETRY / General
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